Tuesday, May 6, 2025
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बुटाटी धाम में आयुर्वेद चिकित्सालय खोलने का आग्रह

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राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के राज्यध्यक्ष चम्पालाल घारू ने मुख्यमंत्री व आयुष मंत्री से किया निवेदन, ताकि सैकड़ों लोगों को मिल सकें आयुष पद्धति का फायदा

जोधपुर। राजस्थान आयुर्वेद नर्सेज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री व आयुष मंत्री से लकवाग्रसित बीमार रोगियों के लिये वरदान के रूप में विश्व प्रसिद्ध संत शिरोमणि चतुरदास जी महाराज के पावन पवित्र बुटाटी धाम नागौर में प्राथमिकता से राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय खोलने का आग्रह किया है।
राजस्थान आयुर्वेद नर्सेज एसोसिएशन के राज्याध्यक्ष चम्पालाल घारू ने राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री एवं आयुष मंत्री से लकवाग्रसित बीमार रोगियों के लिये वरदानस्वरूप चमत्कारिक विश्व प्रसिद्ध तपोनिष्ठ चतुरदास जी महाराज की तपोभूमि नागौर जिले में कुचेरा के पास स्थित बुटाटी धाम पर लकवाग्रसित बीमार रोगियों के चिकित्सा लाभ के लिये प्राचीन भारतीय आयुष चिकित्सा पद्धति का प्राथमिकता से राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय खोलने की राजस्थान प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं आयुष मंत्री से मांग की है।

लकवाग्रस्त रोगियों के लिए वरदान

राजस्थान आयुर्वेद नर्सेज एसोसिएशन के राज्याध्यक्ष चम्पालाल घारू बताया कि संत चतुरदास जी महाराज का बुटाटी धाम जो कि लकवाग्रसित बीमार रोगियों के ठीक हो जाने के लिये जाना जाता है। यहां पर देश विदेश से लाखों-श्रद्धालु लकवा की बीमारी ठीक होने की उम्मीद लेकर आस्था के इस पावन धाम आते हैं। मान्यता हैं कि बुटाटी धाम पर संत चतुरदास जी महाराज की कृपा से बिना किसी दवाई के मंदिर के सात दिन तक सात फेरी देने एवं इस अखण्ड ज्योति की भभूत सरसों के तेल में मिलाकर मात्र रोगी के मालिश करने से लकवा की बीमारी ठीक हो जाती है। बुटाटी धाम में प्रतिदिन करीब चार हजार श्रद्धालुजनआते हैं तथा लकवा से ग्रसित सैकड़ों बीमार रोगी ठीक होकर सकुशल अपने घर जाते हैं। इन सभी बीमार रोगियों व इनके साथ आने वाले परिजनों के लिये बुटाटी धाम मंदिर ट्रस्ट की ओर से भोजन, आवास की समुचित व्यवस्थाएं नि:शुल्क है।

आमजन को मिल सकेगा लाभ

घारू ने बताया कि इन लकवाग्रसित बीमार रोगियों व आमजन को आयुर्वेद, योग एवं पंचकर्म चिकित्सा का लाभ तथा आयुष चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार के लिए बुटाटी धाम पर राजस्थान सरकार समुचित सुविधाओं युक्तY राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय खोलकर जनहित में लाभान्वित करवावे। इससे इस ऐतिहासिक धार्मिक धरोहर में लकवा की बीमारी से ग्रसित रोगियों सहित सभी बुटाटी धाम पर आने वालों श्रद्धालु भक्तजनों को आयुष चिकित्सा पद्धति का लाभ मिल सकेगा।

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