Saturday, May 31, 2025
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आईपीएस जिनसे कांपती है अपराधियों की रूह

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आईपीएस विकास कुमार संगठित अपराध को खत्म करने में माहिर

साइक्लोनर टीम बनाकर जोधपुर रेंज आईजीपी विकास कुमार ने अपराधियों पर बरपाया कहर

-डॉ. सुरेश खटनावलिया
दुश्मन पर कहर बनकर बरपू, जब तक दम में दम बाकी हो।
हर बार जन्म भारत भू पर, हर बार बदन पर खाकी हो।।

जोधपुर। पुलिस अफसरों की जांबाजी के कारनामें फिल्मों में देखते तो हॉल तालियों व सीटियों से गूंज उठते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ‘रियल’लाइफ में भी ऐसे जाबांज पुलिस अफसर है, जिनकी कार्यशैली और दबंगई के आगे ‘रील’ हीरो पानी भरते नजर आते हैं। ऐसे ही जाबांजों की फेहरिश्त में शामिल है आईपीएस विकास कुमार सिंह जिनके नाम से न केवल अपराधी थर-थर कांपते हैं बल्कि सिस्टम के मोटे खोल में दबे भ्रष्ट प्रवृत्ति के कार्मिकों की भी घिग्गी बंध जाती हैं। विकास कुमार सिंह का काम करने का तरीका इतना जबरदस्त हैं कि वे अपराधियों की शुरूआत से लेकर अंत तक कुंडली निकालकर सख्त कार्रवाई का ऐसा चक्रव्यूह रचते हैं कि उससे अपराधी का निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता हैं। इसी कारण अपराधी प्रार्थना करते है कि कभी भी सिंह के टारगेट पर नहीं आए। रौबीली आवाज और चेहरे पर हमेशा गंभीर मुस्कान रखने वाले विकास कुमार ने आदिनांक मिले विभिन्न दायित्वों का पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से निर्वाह करते हुए अपराधियों को कानून सम्मत सजा एवं पीडितों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इन्होंने अपने सर्विसकाल में कई ऐसे अॉपरेशंस को अंजाम दिया है, जो राजस्थान पुलिस में मिसाल के तौर पर देखे जाते हैं। वर्तमान में जोधपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक की अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर राजस्थान पुलिस के ध्येय वाक्य ‘आमजन में विश्वास, अपराधियों में भय’ को चरितार्थ कर रहे हैं।

आगाज-ए-सफर

विकास कुमार सिंह मूलत: बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले हैं। इनका जन्म 11 फरवरी 1975 को अमरनाथ सिंह व डॉ. शीला सिंह के परिवार में हुआ। इन्होंने सातवीं तक पढ़ाई औरंगाबाद में की। इसके बाद गुरूकुल नेत्रहट विद्यालय में 10वीं उत्तीर्ण की। दसवीं में थर्ड टॉपर तथा बारहवीं में राज्य टॉपर रहे है। नामचीन पटना कॉलेज से शिक्षा हासिल करने के बाद आईआईटी कानपुर से 1997 में बीटेक की डिग्री ली। वर्ष 1991 में उन्हें strong personality of the year तथा आईआईटी कानपुर की ओर से ‘बेस्ट आउटगोइंग रजिडेंट’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। विकास कुमार सिंह वॉलीबॉल के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी रहे हैं।
विकास कुमार सिंह ने अपने कॅरियर की शुरूआत सॉफ्टवेयार इंजीनियर के रूप में की। इसके बाद आईआईअी कानपुर से रिसर्च इंजीनियर हुए फिर भारतीय रेल सेवा तथा बाद में भारतीय राजस्व सेवा में रहे। इस दौरान सिविल सेवा की तैयारी करते हुए 2004 में आईपीएस के लिए सिलेक्ट हुए। बकौल विकास कुमार-‘आईआईटी कानपुर का छात्र रहा हूं और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। आज मैं जो कुछ हूं उसमें आईआईटी कानपुर का काफी योगदान है। शायद समाज में मेरे काम को देखते हुए आईआईटी कानपुर ने मुझे ‘सत्येंद्र नाथ दुबे अवॉर्ड’ से सम्मानित किया है। वैसे मैं आज भी इंजीनियर हूं। मेरा रूझान शुरू से ही सिविल सेवा की तरफ था। जब मैं आईआईटी कानपुर से पासआउट हुआ, उसी दौरान कैंपस सलेक्शन हो गया। चूंकि ये फील्ड मेरे लिए पूरी तरह नया था, लिहाजा कुछ दिन काम करके देखा। फिर लगा कि अपनी रूचि का काम करना चाहिए क्योंकि वहां आप अपना बेस्ट दे सकते हैं। लिहाजा, अंतर्रात्मा की बात मानकर पुलिस सेवा की ओर रूख किया। सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करते हुए सिविल सेवा की तैयारी जारी रखी और साल 2004 में चयन नागालैंड कैडर में हुआ। बाद में कैडर बदलकर 2007 में राजस्थान चला आया।’

बड़े टास्क सुलझाने में महारत

आईपीएस विकास कुमार की पहली पोस्टिंग पाली में तौर एएसपी हुई। इस दौरान इन्होंने ऐसी धमक जमाई की हर कोई इनकी कार्यशैली का कायल हो गया। अपनी विशेष कार्य प्रणाली के लिए पुलिस विभाग में फेमस है। बतौर आईपीएस अपने शुरूआती दिनों में ही इन्होंने चित्तौड़गढ़ में अफीम की रिकॉर्ड मात्रा जब्त की थी। चित्तौड़गढ़ में तैनातगी के दौरान नारकोटिक्स कंट्रोल में पूरे देश में अव्वल रहे। इन्होंने सबसे ज्यादा ड्रग्स पकड़कर एक रिकार्ड कायम किया। पूर्व राजस्थान में अवैध खनन के धंधे को उखाड़ फेंका। 2009-10 में गुर्जर-मीणा आंदोलन के दौरान शांति बहाल करने, 2010 में सीकर में शराब माफिया के खिलाफ मोर्चा खोलने, सांप्रदायिक हिंसा नियंत्रण, राजमार्ग डकैतों और अवैध हथियारों के बड़े रैकट को तहस-नहस करने के टास्क को पूरा करने में उनकी अहम भूमिका रही है। विकास कुमार ने कई बड़े टास्क को सुलझाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब तक वे 10 जिलों में एसपी रहे। बीएसएफ डीआईजी व कई संभाग आईजी भी रहे।

माइनिंग माफिया की तोड़ी कमर

विकास कुमार बताते है कि जब वे भरतपुर में तैनात थे तो वहां माइनिंग माफिया का दबदबा था। इसके अलावा शराब माफिया, ड्रग्स माफिया का भी काफी आतंक था। इनपर लगाम लगाने की हर मुमकिन कोशिश की। 2012 में भरतपुर में राजस्थान के इतिहास में माइनिंग माफिया पर सबसे बड़ी कार्रवाई की और उनकी कमर तोड़कर रख दी। 100 से ज्यादा माफिया हवालात में बंद किए गए और अवैध खनन में इस्तेमाल होने वाले डंपर समेत सैकड़ों गाड़ियां जब्त की गईं। जब उनसे पूछा कि ‘खनन माफिया पर कार्रवाई के दौरान कभी डर नहीं लगा, क्योंकि महाराष्ट्र से लेकर मध्य प्रदेश तक इनका नेटवर्क काफी तगड़ा है। ’ तो उन्होंने बताया कि ‘सच कहूं तो ऐसी घटनाओं से डर की बजाय मैंने सीख ली और अपराधियों के खिलाफ व्यूह रचना की। यहां सॉफ्टवेयर इंजीनियर होना मेरे बहुत काम आया। मैंने एक्शन से पहले पूरी तैयारी की। ग्राउंड फैक्ट्स जुटाए, माइनिंग माफिया की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी और फिर अपना एक्शन-प्लान तैयार किया। बड़े ही ठंडे दिमाग से व्यूह रचना कर माफिया के हर प्वाइंट पर एक साथ अटैक किया और उनकी कमर तोड़ी।’

अवार्ड हुए सम्मानित

विकास कुमार जहां भी रहे उन्होंने अपना शत प्रतिशत दिया। इसका ही नतीजा रहा कि अवार्ड उनके पीछे भागते है। पुलिस ट्रेनिंग के दौरान पुलिस अकेडमी से शुरू हुआ अवार्ड का सिलसिला बदस्तूर जारी है। पूर्वी राजस्थान में अवैध खनन करने वाले माफियाओं पर कार्रवाई के लिए आईआईटी कानपुर की ओर से प्रतिष्ठित सत्येन्द्र के. दुबे मेमोरियल अवॉर्ड-2017 से सम्मानित किया गया। 25 जनवरी को दिल्ली के मानेकशॉ भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया। दरअसल, राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में विकास कुमार की अगुवाई में पुलिस ने शानदार काम किया था जिसमें रिकॉर्ड तोड़ कैश बरामद किया गया। इसका नतीजा ये हुआ कि पुलिस ने इस बार चुनाव में करीब 450 करोड़ का अवैध सामान जब्त किया जो पिछले चुनाव के मुकाबले 7 गुना ज्यादा था। उन्हें अल्मा मेटर पुरस्कार, प्रेसिडेंट अॉफ इंडिया अवॉर्ड, होम मिनिस्टर ट्रॉफी फॉर द बेस्ट वर्क on कम्यूनल हारमनी एण्ड नेशनल इंटीग्रेशन सम्मान, पिस्टल अवार्ड, बेस्ट इन्वेशटिगेशन अवार्ड, जेल सुधारों के लिए ई-गर्वनेस अवार्ड, शांति एवं सद्भाव बनाए रखते हुए, law and order अच्छे से बनाए रखने के लिए सर बी.एस. मेमोरियल ट्रॉफी से भी सम्मानित किया जा चुका है।

‘साइक्लोनर’ से अपराधियों का सफाया

जोधपुर रेंज की कमान सम्भालते ही आईजी विकास कुमार ने अपराधियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी। इन्होंने काबिल अफसरों की व पुलिसकर्मियों से स्पेशन ‘साइक्लोनर’(Cyber control liaison observation and analysis node of range) टीम का गठन किया जिनकी मॉनिटरिंग वे स्वयं करते हैं। विशेष साइक्लोनर टीम अलग-अलग Opration के जरिये फरार और इनामी आरोपियों को पकड़कर सीखचों के पीछे पहुंचा रही है। अब तक टीम के 50 से ज्यादा Opration में से करीब 28 अभियान सफल रहे हैं। इनमें एक लाख रूपए तक के भी इनामी बदमाश शामिल है। हाल में दो साल से फरार लूट के आरोपी को भी इसी टीम की ओर से पकड़ा गया है। विकास कुमार ने बताते हैं कि फरार और इनामी आरोपियों को पकड़ने के लिए हमारी साइक्लोनर टीम की ओर से Opration सूर्यास्त, लल्लनटॉप, राजशाही, रांची, रजिया, जागरण, ब्रजमाल, डॉ. फिक्सिट, मनोरमा सहित करीब 50 अॉपरेशन चलाए जा रहे हैं। इनमें से 28 के करीब अॉपरेशन सफल रहे हैं। आने वाले समय में बाकी बचे Opration को भी जल्द पूरा किया जाएगा। इसके लिए हमारी टीमें लगी हुई है। हमारा उद्देश्य यही है कि समाज में अपराध और अपराधियों का खात्मा हो इसलिए टीम मुस्तैदी के साथ जुटी हुई है। कई बार अपराधियों को पकड़ने के लिए कई माह तक टीमों को अलग-अलग जगह पर दबिश देनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त नियमित अभियानों से अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है।

‘कोबरा टीम’ से माफिया का फनां’

विकास कुमार ने साल 2014 में अलवर जिले में एसपी के पद पर रहते हुए माफिया के खिलाफ एक्शन के लिए स्पेशल फोर्स ‘कोबरा टीम’ का गठन किया जिसकी चर्चा पूरे देशभर में रही। इसके जरिए इन्होंने पुलिस को आर्मी की ट्रेनिंग दिलवाई ताकि वह माफिया का पेशेवर तरीके से खात्मा कर सके। इसके बारे में आईपीएस विकास कुमार बताते हैं कि ‘जब अलवर में तैनात था तो देखा यहां काफी पेशेवर अपराधी हैं। महसूस हुआ कि हमें एक ऐसी फोर्स की जरूरत है जिसमें आक्रामकता हो, जिसमें एनर्जी हो और जिसको थोड़ा एक्सपोजर मिला हो ताकि इन अपराधियों का डटकर मुकाबला कर सके। आर्मी की ट्रेनिंग हमें भीतर से मजबूत बनाती है। मैंने आर्मी के कमांडर से संपर्क किया और अपनी बात रखी तो वो तैयार हो गए। हमने पुलिसवालों की एक नई टीम तैयार की जिसे लोग कोबरा टीम (क्रिटिकल अॉपरेशन्स बैकअप एंड रैपिड एक्शन टीम) के नाम से जानते हैं। वे बताते हैं कि काम जितना बड़ा होता है चुनौतियां उतनी ही ज्यादा होती हैं। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी सूचनाओं को गुप्त रखना। लिहाजा इसके लिए ईमानदार और तेज तर्रार पुलिसकर्मियों की एक टीम बनाई। उनकी अलग से ट्रेनिंग कराई, क्योंकि जोखिम भरे रास्तों पर चलने के दौरान टीम का मनोबल ऊंचा रखना जरूरी है। ये तभी मुमकिन है जब वो खुद को मुकाबले के लिए तैयार समझें। हमारी टीम ने हौसले से काम लिया और एक्शन में हमारा पूरा साथ दिया। जिसके अच्छे नतीजे आए। जिन जिलों में तैनात रहा वहां कोबरा टीम का गठन किया। इसके लिए आर्मी के कमांडर्स का काफी सहयोग रहा। कोबरा टीम के एक्शन और जुनून को देखते हुए बाद में राजस्थान सरकार ने सभी जिलों में कोबरा टीम के गठन का फैसला किया।

जनता से सीधा संवाद

विकास कुमार बताते हैं कि बिना समाज के सहयोग के कोई भी अच्छा काम करना मुमकिन नहीं है। समाज का पुलिस पर भरोसा होना जरूरी है। इसीलिए मैंने 24 घंटे आम लोगों के लिए जनता को पुलिस से सीधा संवाद स्थापित करने के लिए अपने द्वारा खोल दिए है। फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी सोशल साइट्स के जरिए भी जनता से जुड़ने की कोशिश की, जिसका काफी फायदा भी हुआ। लोग पुलिस तक आने में हिचकते हैं क्योंकि एक दो घटनाएं ऐसी होती हैं जो लोगों के मन में डर बैठा देती है। हमें जनता को ये भरोसा देना होगा कि पुलिस के लिए हर व्यक्ति और हर शिकायत महत्वपूर्ण है।

पारिवारिक परिदृश्य

विकास कुमार बताते हैं कि उनके पिता राज्य प्रशासनिक सेवा में रहे है। वे कलक्टर पद से रिटायर्ड है। माता कॉलेज में प्रिंसिपल पद से रिटायर्ड है। परिवार में 50 से ज्यादा सदस्य पुलिस में विभिन्न पदों पर कार्यरत है। बहनाई नीरज कुमार सिंह भारतीय पुलिस सेवा में बिहार कैडर में है तथा बहिन मुग्धा सिंह हाउस मेकर है। भाई विवेक कुमार सिंह लॉयर है। लिखने पढ़ने और साइकिलिंग करना शौक में शुमार है। विकास बतो हैं कि उनकी पत्नी परमज्योति खुद एक आईपीएस अफसर हैं। शादी 15 फरवरी 2007 को हुई। जानने वाली बात ये हैं कि वे बिहार से है और उनकी पत्नी पंजाब से। दोनों की पहली मुलाकात नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद में हुई। घर में बिहार-पंजाब की संस्कृति का मेलजोल है। इसलिए यहां लिट्टी-चोका भी बनता है और मक्के की रोटी और सरसो दा साग भी मजे से खाया जाता है। उन्होंने कभी वक्त को लेकर कोई शिकायत नहीं की। हां ये बात अलग है कि अर्नव और अंबिता (बेटा और बेटी) के लिए वक्तY निकाल पाना थोड़ा मुश्किल होता है।

सख्त Officer, सह्रदय कवि

तेज-तर्रार, सख्त Officer की छवि के बीच बहुत कम लोगों को पता है कि विकास कुमार के दिल के एक कोने में कवि, साहित्यकार भी बसता है। उन्हें कविताएं , लेख, कहानियां, लिखने और पढ़ने का शौक है। वे महादेवी वर्मा, गुलशन नंदा, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और दुष्यंत कुमार को पढ़ते हैं। विकास कुमार बताते हैं कि कविता हो या कहानी वे लिखने के बाद सबसे पहले अपनी पत्नी को पढ़कर सुनाते हैं। हिट या फ्लॉप की जानकारी वहीं से मिलती है। उनकी लिखी कविता की निम्न पंक्तियां पढ़कर ही कयास लगाया जा सकता हैं कि खाकी उनके कितनी करीब है-
दुश्मन पर कहन बनकर बरपू,
जब तक दम में दम बाकी हो।
हर बार जन्म भारत भू पर,
हर बार बदन पर खाकी हो।।

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