बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान का एक हिंदू मंदिर काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मंदिर का नाम कटास राज मंदिर है और यह मंदिर पाकिस्तान के पंजाब में स्थित है।
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ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 615-950 ईस्वी के बीच बनाया गया था। माना जाता है कि इस मंदिर की जगह पर पांडव भाइयों ने काफी लंबा समय बिताया था। इस मंदिर में भगवान शिव के आंसुओं से बना एक पवित्र तालाब- कटास भी है। इस मंदिर में बौद्ध स्तूप और गुरु नानक से जुड़े गुरुद्वारे के अवशेष भी पाए गए हैं। लेकिन कटास राज मंदिर पाकिस्तान का एकमात्र हिंदू मंदिर नहीं है। पाकिस्तान में आज भी कई प्रमुख हिंदू मंदिर है, कुछ तो ठीक हालत में है, लेकिन कई की हालत तो ऐसी है कि देखकर आंखों से आंसू छलक जाए। आइए जानते हैं पाकिस्तान के कुछ प्रमुख हिंदू मंदिरों के बारे में!
हिंगलाज माता मंदिर, बलूचिस्तान
हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान के हिंगलाज में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। ग्रंथों के मुताबिक, यह मंदिर 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका बड़ा महत्व है।
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव देवी सती के शोक में डूबे हुए उनकी पार्थिव देह लेकर तीनों लोकों का भ्रमण करने लगे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती की देह को 51 भागों में बांट दिया। सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर देवी का सिर जहां गिरा था, उसी जगह पर आज हिंगलाज माता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को चारण वंश तथा राजपुरोहितों की कुलदेवी का मंदिर भी माना जाता है।
श्री वरुण देव मंदिर, सिंध
श्री वरुण देव मंदिर, कराची के सिंध के मनोरा द्वीप के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान झूलेलाल (वरुण) को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में जल का देवता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी के आसपास भोजोमल नेन्शी भाटिया नामक एक अमीर नाविक ने करवाया था। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद इस मंदिर की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई, जिसके बाद पाकिस्तान के हिंदू संगठनों ने प्रशासन से मंदिर की मरम्मत कराने की मांग की, तब यूएस एम्बेसडर फंड फॉर कल्चरल प्रिजर्वेशन ने मंदिर की मरम्मत कराई और मंदिर पर अवैध कब्जे को हटाकर मंदिर पाकिस्तान हिंदू परिषद को सौंप दिया।
उमरकोट शिव मंदिर, सिंध
उमरकोट शिव मंदिर, सिंध के उमरकोट में स्थित है। इस मंदिर को सिंध के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है, क्योंकि यह लगभग 2000 साल पुराना है। ग्रंथों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण तब हुआ जब एक व्यक्ति ने देखा कि उसकी गाय एक ‘लिंगम’ पर दूध दे रही है, और बाद में पता चला कि वह एक शिवलिंग है। मंदिर के पुजारी के अनुसार, जब शिवलिंग पहली बार देखा गया था तब वो 1 इंच का था और अब वो 20 इंच का हो चुका है। मंदिर का वर्तमान में जो आर्किटेक्चर है, वो एक मुस्लिम व्यक्ति ने लगभग एक सदी पहले बनवाया था। मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि के दौरान तीन दिनों का भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें निचले और ऊपरी सिंध से लगभग 2,50,000 तीर्थ यात्री आते हैं।
साध बेलो मंदिर, सिंध
पाकिस्तान के सिंध में स्थित साध बेलो मंदिर ‘उदासी’ समुदाय के लोगों के लिए एक पवित्र मंदिर है। बता दे कि, ‘उदासी’ एक धार्मिक समुदाय है, जिसकी खोज गुरु नानक देव के सबसे बड़े बेटे, बाबा श्री चंद ने की थी। उदासी लोग अपनी साधारण जीवन शैली और सांसारिक मोह माया से अलग रहने के लिए जाने जाते हैं।
इस समुदाय के लोग हिंदू देवी-देवताओं और गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा करते हैं। इस मंदिर को उदासी पंथ के एक भिक्षु बाबा बनखंडी ने 1823 में बनाया था और इस मंदिर में दो जुड़े हुए द्वीप हैं- साध बेलो और दीन बेलो। वैसे आपको यह भी बता दें कि यह मंदिर पाकिस्तान का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है और इस मंदिर परिसर में आठ अलग-अलग मंदिर भी है।
प्रह्लादपुरी मंदिर, मुल्तान
पाकिस्तान के मुल्तान में स्थित प्रह्लादपुरी मंदिर होली के त्योहार और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। नरसिंह अवतार को समर्पित इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहीं से होलिका दहन की शुरुआत हुई थी।
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है। लेकिन, दुर्भाग्य से भारत में 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद आक्रोश में एक मुस्लिम चरमपंथी भीड़ द्वारा इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था। इस मंदिर की कई बार मरम्मत कराने की कोशिश की गई लेकिन फिर भी यह मंदिर खंडहर ही बना रहा। हालांकि, 2 साल पहले पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की तुरंत मरम्मत कराने का आदेश जारी किया और कहा कि इसे होली त्यौहार पर खोला जाना चाहिए।
कालका गुफा मंदिर, सिंध
पाकिस्तान में कालका गुफा मंदिर सिंध प्रांत के अरोर सक्कर में कालका पहाड़ियों की गुफा में स्थित एक महत्वपूर्ण हिंदू मंदिर है। अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो ऐसा माना जाता है कि जब काली माता हिंगलाज माता के मंदिर जा रही थी तो इस दौरान उन्होंने इस मंदिर के स्थान पर कुछ समय गुजारा था। इस मंदिर में दो सुरंगे भी है जो सीधे हिंगलाज माता के मंदिर में निकलती है, जो बलूचिस्तान में स्थित है। सिंध के ज्यादातर हिंदू हर महीने के पहले सोमवार की रात को कालका देवी के मंदिर दर्शन करने पहुंचते है। चारों ओर पहाड़ों से गिरे होने की वजह से यह मंदिर बाहर से जितना सुंदर है, अंदर से भी उतना ही सुंदर सजा हुआ है।
श्री राम पीर मंदिर, सिंध
पाकिस्तान में श्री राम पीर मंदिर सिंध के तांडो अल्लाहयार में स्थित बाबा रामदेव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हर वर्ष यहां पर 3 दिनों का रामपीर मेला उत्सव आयोजित किया जाता है, जो पाकिस्तान में दूसरा सबसे बड़ा हिंदू तीर्थ स्थल है। त्यौहार के दौरान हजारों भक्त बाबा रामदेव को श्रद्धांजलि देने के लिए पैदल यात्रा करते हैं, और मंदिर में झंडा फहराया जाता हैं। इस मंदिर का निर्माण एक हिंदू व्यक्ति ने करवाया था क्योंकि उसने मन्नत मांगी थी कि अगर उसको बच्चा हो जाएगा तो वह राजस्थान में बाबा रामदेव के मूल मंदिर से मिट्टी का दीपक लाकर मंदिर का निर्माण कराएगा। मंदिर का निर्माण 1859 में किया गया था, 1459 में बाबा रामदेव के निधन के सदियों बाद।
श्री राम मंदिर, लाहौर
लाहौर में श्री राम मंदिर भगवान राम के पुत्रों लव और कुश से जुड़े ऐतिहासिक संबंधों वाला एक महत्वपूर्ण मंदिर है। लव मंदिर के नाम से मशहूर यह मंदिर लाहौर किले के अंदर स्थित है। पुराणों के अनुसार, लाहौर का नाम भगवान राम के पुत्रों में से एक लव के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस शहर की स्थापना की थी। यह मंदिर लाहौर और भगवान राम से जुड़े संबंधों के बारे में खुलासा करता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लाहौर किले के निर्माण से भी पहले बनाया गया था, लेकिन बादशाह अकबर की हुकूमत के समय उसने इस मंदिर के चारों ओर दीवारें खड़ी कर दी। हालांकि, यह मंदिर अब जर्जर हालत में है और इसे बंद कर दिया गया है।